नेवरा रोड तिंवरी फांटा पर चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन में संत सियाराम महाराज ने कृष्ण भगवान के बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि अपने मन को बालक जैसा बनाएं तो उनको भगवान दर्शन देते हैं जैसे गोपियों ने भगवान से प्रगाढ़ प्रेम किया। भगवान गोपियों के वहां माखन खाने के लिए आ गए। भगवान प्रेम के भूखे हैं, वस्तु के भूखे नहीं। जो व्यक्ति अभिमान छोड़कर भगवान से प्रेम करता है। परमात्मा उसे अपना लेते हैं। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा अपने घर में देखकर ही प्रभु को पा लिया। मीराबाई सुंदर श्रृंगार करके गोपालजी के सम्मुख कीर्तन करती थीं। इस दौरान भागवत प्रसंग में कई उत्सव के आनंद की धूम रहीं। भागवत कथा के कार्यकर्ता डूंगरराम हुडा ने बताया कि पांचवें दिन की कथा की आरती में प्रेमाराम सिंवर, सिरारामाराम, कानाराम, अचलाराम सिंवर, भैरूसिंह, राजूराम, जेठाराम, कोजाराम, भगवानराम, हुक्मीचंद, जोराराम, महेंद्र चौधरी, नवलाराम, दुर्गसिंह अादि माैजूद थे।
भगवान प्रेम के भूखे होते हैं : संत सियाराम