टिड्डी के साथ बीमा नियमों का भी कहर, पटवार सर्किल में 50% खराबे पर ही मिलेगा क्लेम

जिले के कई उपखंड क्षेत्रों के दर्जनों गांवों के खेतों में खड़ी फसलों को टिड्डी दल ने चट कर दिया है। किसानों को जो पीड़ा पहुंचाई है, उसे अब सरकारी कहें या बीमा कंपनी के नियम, वे भी तकलीफ को और बढ़ाने वाले हैं। क्योंकि फसल बीमा नियमों के तहत जिस किसी पटवार सर्किल में 50% या इससे अधिक खराबा हुआ है, उन्हीं इलाकों के किसानों को क्लेम से तत्काल राहत मिलेगी। इनके अलावा, फसलों की कृषि व राजस्व विभाग द्वारा की जाने वाली क्रॉप कटिंग प्रक्रिया में खराबा पाए जाने पर ही क्लेम मिलेगा, लेकिन उसमें कितना समय लगेगा, ये तय नहीं है। ऐसे हालात में जोधपुर जिले के ज्यादातर प्रभावित इलाकों के किसानों को दोहरी मार पड़नी तय मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिन से जिले में बाप, फलोदी, शेरगढ़, बालेसर व लूणी उपखंड के दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें टिड्डियों ने चट कर डाला है। लेकिन, कृषि विभाग, राजस्व विभाग या बीमा कंपनी से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि जोधपुर जिले के किसी भी पटवार सर्किल में 50 प्रतिशत से ज्यादा खराब नहीं हुआ है। फसल बीमा में व्यक्तिगत स्तर पर क्लेम का नियम नहीं है।


इसी बीच, लूणी के भाचरना व आसपास के क्षेत्र से आगे बढ़ रहा टिड्डी दल बुधवार को शहर के सबसे नजदीकी क्षेत्र तनावड़ा व सालावास और आसपास भी पहुंचा और किसानों की फसलें चट कर डाली। इस संबंध में स्थानीय टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान (लोकस्ट) विभाग और कृषि विभाग की टीमें लगातार दवा का छिड़काव कर रही है। लोकस्ट विभाग के उप निदेशक डॉ. केएल गुर्जर के अनुसार बुधवार तक 60 प्रतिशत टिड्डी दल पर काबू पा लिया है, शेष पर भी गुरुवार तक काबू पाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इ दूसरी ओर, भारतीय किसान संघ के संयोजक तुलछाराम सिंवर ने केंद्र व राज्य सरकार को ज्ञापन प्रेषित कर टिड्डी दलों पर काबू पाने के लिए विदेशों की तर्ज पर हाई-पॉवर ड्रोन या हवाई स्प्रे के लिए उपकरण तत्काल पश्चिमी राजस्थान में उपलब्ध कराने की मांग की है।



तनावड़ा व सालावास इलाकों में टिड्डियों के पहुंचने से परेशान किसानों ने परिवार के साथ खेतों में डेरा डाल रखा है। इनमें मुख्य रूप से सालावास रेलवे स्टेशन, जोजरी नदी के आसपास बड़ी संख्या में टिड्डी दल पहुंचे हैं। इस पर समाजसेवी हड़मानसिंह राजपुरोहित, संपतराज गहलोत, जयसिंह गहलोत ,रमेश भाटी, तनावड़ा सरपंच हेमाराम पंवार, पटवारी सुरेश विश्नोई सहित अन्य प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे और जिला प्रशासन को भी सूचना दी। इसी तरह, लूणी के मोगड़ा, नंदवान सहित आसपास के इलाकों में टिड्डी दलों का कहर देखा गया। हालांकि, इन पर नियंत्रण के लिए पहले से तैयार कृषि व लोकस्ट विभाग की टीमों ने बुधवार अलसुबह से ही दवा का स्प्रे करना शुरू कर दिया। 


वर्ष 1993 के बाद अब देखी इतनी टिड्डी
डोली के किसानों ने बताया कि वर्ष 1993 में टिड्डी दल डोली व आसपास के इलाके में पहुंचे थे। इसके बाद अब ये दूसरा बड़ा हमला है। उस दौर में भी टिड्डी के आक्रमण पर खेतों में खड़ी मूंग, बाजरा, मोठ, तिल, ग्वार की फसल को नुकसान किया था, उस समय उड़ाने व नष्ट करने के साधन भी नहीं थे। उस समय खेतों में ट्रैक्टर दौड़ाकर टिड्डी को उड़ाने व भगाने के प्रयास किए थे। सन 1993 की टिड्डी जिसका आकार आज की टिड्डी से बड़ा था व उस समय टिड्डी का रंग पीला रंग था, लेकिन अब इसका रंग लाल व आकार में थोड़ी छोटी भी है।